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कोटद्वार । नजीबाबाद रोड स्थित आर्य कन्या इंटर कॉलेज में तीन दिवसीय आर्य महासम्मेलन का शुभारंभ शुक्रवार को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य बालकृष्ण ने दीप प्रज्वलित कर किया। अपने उद्बोधन में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने जो आर्यव्रत को वैदिक डगर का ज्ञान दिया और जो वैदिक धर्म को संरक्षित किया उसे सरल भाषा में लोगों तक पहुंचाया उनका ऋण संपूर्ण आर्यव्रत पर हमेशा बना रहेगा ।आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महर्षि दयानंद नहीं होते ना तो भारतीय संस्कृति आज होती और ना हम इस रूप में दिखाई देते।
उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को स्थापित करने में भी आर्य समाज से जुड़े विद्वानों का बड़ा योगदान रहा है, और देश की संस्कृति सभ्यता और वैदिक धर्म को उत्थान कर उसे सरल भाषा में संपादित कर आम जनों तक पहुंचाने का जो कार्य आर्य समाज के विद्वतजनों ने किया है यह अपने आप में बहुत ही महान कार्य है, और आज भी आर्य समाज से जुड़े विद्वतजन इस महान परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। आर्य महासम्मेलन स्थल पर जहां बड़ी संख्या में मातृशक्ति पहुंची हुई है, वहीं मातृशक्ति के द्वारा भी स्टाल लगाकर जहां वैदिक धर्म की पुस्तकें और जो रचनाएं हैं उनका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, दिल्ली और महानगरों से यहां पर आए हुए हैं वह भी वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं। यहां पर आर्य प्रतिनिधियों से हर चीज की जानकारी मिल रही है और तीन दिवसीय कार्यक्रम को सफल बनाने में यह सम्मेलन सफलता की ओर अग्रसर है। कार्यक्रम को कोटद्वार आर्य प्रतिनिधि संस्था के सज्जनों द्वारा पूर्व सुनियोजित योजना के तहत संपन्न किया जा रहा है ।
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